Tuesday, 30 September 2014

Maa Katyayani

                 माँ   कात्यायनी

चन्द्रहासोज्जवलकरा   शार्दूलवरवाहना ।
कात्यायनी  शुभं  दद्यादेवीं  दानवघातिनी ।।

        नवरात्रि  के   छठे  दिन  माँ  कात्यायनी  की  पूजा  की  जाती  है ।इनकी  उपासना   और  अराधना   से  भक्तों   को  बड़ी  आसानी  से  अर्थ ,धर्म  ,काम  और  मोक्ष  चारों  फ़लों  की  प्राप्ति  होती  है ।उसके  रोग ,संताप,  भय और समस्त  पाप  भी  नष्ट  हो  जाते  हैं ।

         कात्य  गोत्र  में  विश्वप्रसिद्ध  महर्षि  कात्यायन  ने  भगवती पराम्बा की कठिन   तपस्या  की ।उनकी  इच्छा  थी कि  उन्हें  पुत्री  प्राप्त  हो ।माँ  भगवती  ने  उनके घर  पुत्री  के रूप  में  जन्म लिया  इसीलिए यह  देवी  कात्यायनी  कहलाईं ।

            माँ  कात्यायनी  अमोघ   फ़लदायिनी  हैं ।भगवान  कृष्ण  को  पति  रूप  में  पाने  के  लिए  ब्रज  की  गोपियों  ने  इन्हीं  की  पूजा  की  थी  ।यह  पूजा  कालिंदी  यमुना  के  तट  पर की  गयी  थी ।इसीलिए  यह ब्रजमंडल  की  अधिष्ठात्री  देवी  के  रूप  में  प्रतिष्ठित  हैं ।इनका  स्वरूप  अत्यंत  भव्य  और  दिव्य  है ।यह  स्वर्ण  के  समान  चमकीली हैं और  भास्वर  हैं  ।इनकी  चार  भुजाऐं  हैं ।दायीं  तरफ  का  ऊपर  वाला  हाथ  अभयमुद्रा में  है  तथा  नीचे  वाला  हाथ  वरमुद्रा  में  है ।माँ  के  बाँयीं तरफ  के  ऊपर  वाले  हाथ में  तलवार  है  व  नीचे  वाले  हाथ  में  कमल  का  फ़ूल  सुशोभित  है  ।इनका  वाहन  भी  सिंह  है  ।

Monday, 29 September 2014

Maa Skandmata

                माँ   स्कन्दमाता 

    सिंहासनगता  नित्यं  पद्माश्रितकरद्वया ।     शुभदास्तु  सदा देवी स्कन्दमाता      यशस्विनी ।।

       नवरात्रि  के  पाँचवे  दिन  स्कन्दमाता  की  पूजा-अर्चना  की  जाती  है ।स्कंद कुमार  कार्तिकेय   की  माता  के  कारण  इन्हें   स्कन्दमाता  कहा  गया  है ।इनके  विग्रह  में   भगवान  स्कन्द बालरुप में  इनकी  गोद  में  विराजित  हैं ।इस  देवी  की  चार  भुजाऐं  हैं ।यह  दायीं  तरफ  की  ऊपर  वाली  भुजा  से  स्कंद को  गोद  में  पकड़े  हुए  हैं ।बायीं तरफ  ऊपर  वाली  भुजा  में वरदमुद्रा  में  हैं  और  नीचे  वाली  भुजा  में  कमलपुष्प  है ।

        इनका  वर्ण  एकदम  शुभ्र  है ।यह  कमल  के  आसन  पर  विराजमान   रहती  हैं ।इसीलिए  इन्हें पद्मासना  भी कहा  जाता  है ।सिंह   इनका  वाहन  है ।

         इनकी  पूजा  से  भक्त   को  मोक्ष  मिलता  है ।सूर्यमंडल  की  अधिष्ठात्री  देवी  होने  के  कारण  इनका  उपासक  अलौकिक  तेज  और  कांतिमय  हो  जाता  है ।यह  देवी  चेतना  का  निर्माण  करनेवाली  हैं ।कहते हैं  कालिदास  द्वारा  रचित  रघुवंशम  महाकाव्य   और  मेघदूत   रचनाऐं  स्कन्दमाता  की  कृपा  से ही  संभव  हुई ।

Sunday, 28 September 2014

Maa Kusmanda

                  माँ  कुष्माण्डा

सुरासम्पूर्णकलशं     रुधिराप्लुतमेव  च ।
दधाना   हस्तपद्माभ्यां  कुष्माण्डा  शुभदास्तु  मे ।।

        नवरात्रि   में  चौथे  दिन  देवी  कुष्माण्डा   की   पूजा  होती  है ।अपनी
मंद  , हल्की  हंसी  के द्वारा  ब्रह्माण्ड  को  उत्पन्न  करने  के  कारण  इन्हे  कुष्माण्डा कहा   गया ।जब  सृष्टि  नही थी चारों  तरफ  अंधकार  ही  अंधकार   था  ,तब इस  देवी  ने अपने हास्य  से  ब्रह्माण्ड  की  रचना की ।इसलिए  इन्हे  सृष्टि  की  आदिशक्ति  कहा  गया ।

           इनकी   आठ  भुजाऐं  हैं,   इसलिए ये   अष्टभुजा  कहलाई ।इनके  सात हाथों  में क्रमशः   कमण्डल  ,धनुष,बाण,   कमलपुष्प ,अमृतपूर्ण कलश ,चक्र और गदा  है ।आठवें हाथ में  सिद्धियों और  निधियो  को  देनेवाली  जपमाला है ।

       इस  देवी  का  वास  सूर्यमंडल के भीतर   लोक  में  है ।इसीलिए   इनके  शरीर की  कान्ति  और  प्रभा  सूर्य की  भाति  ही  देदीप्यमान  है  ।इनके  ही तेज  से  दसों  दिशाएँ आलोकित हैं।ब्रह्माण्ड  की सभी  वस्तुओं  और  प्राणियों में  इन्हीं का  तेज  व्याप्त  है  ।

         नवरात्रि  के  चौथे  दिन  इस  देवी  की पूजा करने  से  भक्तों  के  रोगों और शोकों का नाश  होता है  तथा उसे  आयु ,यश, बल और आरोग्य  प्राप्त  होता है ।
यह  देवी  अत्यल्प  सेवा और  भक्ति  से ही  प्रसन्न  होकर  आर्शीवाद  देती है ।

Saturday, 27 September 2014

Maa Chandraghanta

                 माँ   चन्द्रघंटा

पिण्डजप्रवरारूढा      चण्डकोपास्त्रकेर्युता ।
प्रसादं    तनुते   मह्यं  चन्द्रघण्टेति  विस्रुता ।।

         माँ   दुर्गा  की  तीसरी  शक्ति  हैं   चन्द्रघंटा  ।नवरात्रि   के  तीसरे  दिन  इसी  देवी  की  पूजा-अराधना  की  जाती  है ।देवी   का  यह   स्वरुप  परम    शांतिदायक और  कल्याणकारी  है ।इनके  मस्तक  पर  घण्टे  के  आकार  का  आधा  चंद्र  है ।इसलिए  इस देवी  को चंद्रघंटा  कहा  गया  है ।इनके  शरीर  का  रंग  सोने  के  समान  बहुत  चमकीला है ।इस देवी   के दस  हाथ   हैं ।वे    खडग  और  अन्य  अस्त्र  -शस्त्र  से  विभूषित  हैं ।

         सिंह    पर  सवार  इस  देवी  की  मुद्रा  युद्ध  के  लिए  उद्धत  रहने  की  है ।इनके   घंटे   की  भयानक   ध्वनि सदा  अपने  भक्तों   की  प्रेत -बाधादि  से  रक्षा  करती  है ।इस  देवी  की कृपा से  साधक  को   अलौकिक  वस्तुओं के  दर्शन  होते हैं ।इस  देवी  की  अराधना  से  साधक  में  वीरता  और  निर्भयता के साथ ही  सौम्यता  और   विनम्रता का विकास  होता  है ।इसलिए  हमें  मन,कर्म,  वचन  के  साथ  विधि  -विधान से इनकी  उपासना -अराधना  करनी  चाहिए । यह  देवी  कल्याणकारी   हैं ।

Friday, 26 September 2014

Mata Brahmcharini

                 माता   ब्रह्मचारिणी
 
दधानां   कर  पहाभ्यामक्षमाला    कमण्डलम् ।
देवी  प्रसीदतु   मयि    ब्रह्मद्वचारिण्यनुत्तमा ।।

         माँ  दुर्गा  का दूसरा  शक्ति स्वरुप ब्रह्मचारिणी   है ।माँ   श्वेत  वस्त्र  पहने दाऐं  हाथ  में    अष्टदल   की  माला  और  बाऐं   हाथ  में  कमण्डल  लिए    हुए  सुशोभित   है । माँ  ब्रह्मचारिणी के इस रुप   की  अराधना   से  मनचाहे  फ़ल  की  प्राप्ति   होती  है ।ब्रह्मचारिणी  का अर्थ -  तप का  आचरण  करने वाली है ।
माँ के   इस दिव्य   स्वरुप का  पूजन करने   मात्र  से   ही  भक्तों  में  आलस्य  ,अहंकार , लोभ , स्वार्थपरता ,व ईर्ष्या  जैसी  दुष्प्रवृतियां   दूर  होती  हैं ।

        पौराणिक   ग्रंथों  के    अनुसार  यह  हिमालय  की  पुत्री  थीं   तथा  नारद  के  उपदेश    के  बाद  इन्होंने  भगवान शंकर  को  पति  के  रूप  में  पाने के  लिए कई  वर्षों   तक   कठोर  तप  किया ।तपस्या  के  समय  सिर्फ़   फ़ल  और  पत्तियाँ  खाईं।  इसी  कड़ी  तपस्या  के  कारण  उन्हें  ब्रह्मचारिणी   व  तपस्चारिणी  कहा  गया  है  ।कठोर  तप  के  बाद  इनका  विवाह  भगवान  शिव  से  हुआ ।माता  सदैव  आनंदमयी  रहती  हैं ।

Thursday, 25 September 2014

Maa shalputri

                   माँ  शैलपुत्री
 
वंदे  वाण्छितंलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम ।
वृषारूढा   शूलधरा शैलपुत्री  यशस्विनीम् ।।

      माँ  शैलपुत्री  नव-  दुर्गाओं  में  प्रथम दुर्गा हैं । पर्वतराज  हिमालय  के यहाँ  पुत्री के रूप  में  जन्म लेने के  कारण  इनका  नाम शैलपुत्री  पडा ।इनके  दाहिने हाथ में  त्रिशूल  और  बाऐं  हाथ में   कमल पुष्प सुशोभित   हैं ।

        अपने  पूर्वजन्मो  में  ये प्रजापति दक्ष की कन्या के  रूप  में उत्पन्न  हुई ।तब इनका  नाम  सती  था । इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था  ।एक बार 

प्रजापति दक्ष  ने बहुत        बड़ा  यज्ञ  का आयोजन   किया  इसमें  उन्होंने सारे देवताओं  को  आमंत्रित  किया , किन्तु शंकर जी  को आमंत्रित  नहीं  किया ।सती जी ने    जब सुना कि  हमारे पिता   एक अत्यंत  विशाल     यज्ञ का अनुष्ठान कर रहें हैं , तब वहाँ  जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा ।अपनी यह इच्छा उन्होने शंकर जी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद शंकर  जी ने कहा   कि   प्रजापति दक्ष  किसी  कारण बस हमसे रूष्ठ  हैं ।इसलिए  उन्होंने  हमें नहीं बुलाया , ऐसी स्थिति में  तुम्हारा वहाँ जाना  किसी प्रकार से सही नही  होगा ।
भगवान शंकर के इस उपदेश से सती को प्रबोध  नही हुआ  ।पिता का   यज्ञ   देखनेऔर माता  , बहनों से मिलने की  वयग्रता किसी प्रकार कम न हो सकी ।उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकर ने उन्हें जाने की अनुमति  दे दी ।

    माता  सती  जब वहाँ पहुँची तो  कोई भी  उनसे  आदर  और प्रेम  से   बातचीत  नहीं  किया  । फ़िर  उन्होंने सोचा भगवान  शंकर  जी की बात  न मानकर वह  बहुत  गलत  की हैं ।वह  अपने  पति  के अपमान  को   न सह  सकी  और  उन्होंने अपने  रूप  को तत्क्षण  वहीं योगान्द्वारा जलाकर  भस्म  कर  दिया  ।

Wednesday, 24 September 2014

Bhajan

   Aisa   pyar  bha  de  maiya ,
                        Charno  se  lag  jaun  main !
   Sab  andhkar  mita  de  maiya ,
                   Daras  thera  ker  paun  main !
   Aisa  ........

1)  Jag  mein  aaker , jag  ko  maiya
      Ab  tak  na  pahchan  saka  !
      Kun  aaya  hun , kahain  hai  jana
      Ye  bhi  na  main  jaan  saka !
      De  aisa  vardan  he  maiya -2,
                  Sumiren   tera   gaun   main!        Aisa ........

2)   Ker  kripa  jagdamb  bhawani ,
       Main  balak  nadan  hun  !
      Nahi  aradhana  japtap  janu ,
      Main  abgun  ki  khan  hun  !
      Tu  hai  agam  agocher  maiya -2 
                  Kaho  kaise  lakh  paun  main !    
      Aisa ...........

3)   Main  balak  tu  maiya  mori ,
      Nisdin  teri  khoj  hai  !
      Teri  kripa  hee  hai  mere  bhiter ,
      Jo  bhi  tujhko  khoj  rahe  hain !
      Sharan  laga  le  mujhko  maiya -2
                  Tujhper  bali  bali  jaun  main !
     Aisa ............
 

Friday, 19 September 2014

Churma ka Laddoo

Gehun  ka  aata-- 2cup
Sujji --  4spoon
Ghee -- 2 cup
Milk-- 1 cup
Sugar -- 3/4 cup

Vidhi --
       2  cup  gahun  ke  aate  mein  4 spoon  sujji  aur half  cup  ghee  dalker  kara  aata  gunth  len . chote-  chote  boll  banaker  garam  ghee  mein  tal  len . Thanda  hone  per  mixi  mein  pise len .Ab  usmein    kaaju ,badam , kismis ,pise  chinee,1and  half  cup  ghee  milaker  laddoo  bandh  len .

Thursday, 11 September 2014

Ganesh ji ki aarti

जय  गणेश  जय गणेश  जय गणेश देवा ।
माता  जाकी  पार्वती  पिता महादेवा ।।

Jai   Ganesh  !Jai  Ganesh  ! Jai   Ganesh   devaa  !
Mataa  jaaki   Parvati   pitaa  Mahaadevaa !!

एक दंत दयावंत  चार भुजा धारी ।
माथे  पर  तिलक  सोहे  मुसे  की  सवारी ।।

Ek   dant   dayavant   chaar   bhujadhari !
Maathe  par  tilak   sohe  muuse  ki  savari  !!

पान  चढे   फ़ूल  चढे  और चढे  मेवा ।
लडुअन के   भोग  लगे  संत  करे  सेवा ।।

Paan   chadhe  phuul  chadhe   aur  chadhe   mewa  !
Ladduan  ke  bhog  lage   sant  kare  seva !!

अंधे  को  आँख  देत कोढिन  को काया ।
बाझिन  को पुत्र देत  निर्धन को माया ।।

Andhe  ko  aankh  det  koddhin  ko  kaaya !
Baanjhan  ko  putra  det  nirdhan  ko  maaya  !!

सूरश्याम  शारण  आए  सफल कीजै सेवा ।
माता  जाकी  पार्वती   पिता महादेवा ।।

Surashyam  sharan  aae   saphal  kije  seva !
Maata  jaaki  Parvati   pita  Mahadeva  !!

जय    गणेश  जय  गणेश   जय  गणेश देवा ।

Jai  Ganesh ! Jai  Ganesh !  Jai  Ganesh   devaa  !!

Laxmi ji ki aarti

 
Jai  Laxmi  mata  maiya  jai  Laxmi               mata  !
   Tumko  nisdin  dhyawat  Hari 
Visnu  vidhata !!
   Jai  Laxmi  mata........

   Brahmani  Rudrani  Kamla  tu  hi  hai  jag  mata !
   Surya chandrama dhyawat  Narad  rishi  gata !!
   Jai  Laxmi  mata.........

  Durga  rup  nirenjani  sukh  sampati  data !
Jo  koyi  tumko  dhyata   riddhi  siddhi  pata  !!
   Jai  Laxmi  mata.........

  Tu  hi  hai  patal  basanti  tu  hi  subh  data  !
   Karm  prabhav  prakasak  jagnidhi  ki  trata  !!
    Jai  Laxmi  mata.........

  Jis  ghar  tharo  wasa   tahi  mein  gun  aata !!
   Ker  na  sake  so karle  man  nahi  dharkata !!
     Jai  Laxmi  mata........

   Tum  bin  yagya  na  hobe  wastra  na  koyi  pata  !
  Khan -pan  ka  waivav  tum  bin  nahi  aata  !!
   Jai  Laxmi  mata.........

  Shuv  gunn  sunder  yukta  khirnidhi  jata !
  Ratna  chaturdis  tako  koyi  nahi  pata !!
  Jai  Laxmi  mata...........

  Sri  Laxmi  ji  ki  aarti  jo  koyi  nar  gata !
  Ur  aanand  ati  upje  paap  utar  jata!!
   Jai  Laxmi  mata.........

  Isthir  char  jagat  rachaye  shuv  karm  nar  lata !
  Tera  bhakt  maiya  ki  shuv  dristi  chahata !!
  Jai  Laxmi  mata.........

Wednesday, 10 September 2014

Devi-Vandana

Yaa  Devi  sarvabhuteshu vishnumaayeti shavdita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu chetanetyabhidhiyate !

Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu budhirupen sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!! 

Yaa  Devi  sarvabhuteshu  nidrarupen  sansthita  !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!! 

Yaa  Devi  sarvabhuteshu  chhudharupen  sansthita !
 Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   chhayarupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   chhayarupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   shaktirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu trishnarupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   kshantirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   jatirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   lajjarupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   shantirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   shradharupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   kantirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   laxmirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   vritirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   smritirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   dayarupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   tushtirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   matrirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Yaa  Devi  sarvabhuteshu   bhrantirupen  sansthita !
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!

Indryanamadhishthatri  bhutanam  chakhileshu yaa !
Bhuteshu satatam tasyai vyaptidevyai Namo Namah !!

Chiteenrupen yaa krityasnmetadvyapya sthita jagat
Namastasyai Namastasyai Namastasyai namo namah!!



Tuesday, 9 September 2014

Bhajan

Dershan  do  ghanshyam  naath,
Mori  ankheyein  pyasi  re----
Dershan-----

1)- Duar  dayaa  kaa  jab  tu  khole
      Pancham  sur  mein  gunga    
      bole-2
      Andha  dekhe  langra  chalker
      Pahunche  kaashi  re----
      Dershan------

2)- Mandir - mandir  murat  teri
       Phir  bhi  na  sujhe  surat  teri-2
      Yug  bita  na  aayi  milan  ki     
      Puranmashi  re-----                      
       Dershan------

3)-Reemjhim- reemjhim  deep  jalaun
      Kiske  duare  prabhu  main
     jaaun-2
     Aakhen  michauli  ab  to  choro
     Ghat-ghat  basi  re------
     Dershan--------
     

Kanha ji ka bhajan

Sun  radhe  rani-2
De  daro  na  vansi  hamari
Sun  radhe----

1)-Kaase  gaun  radhe,kaase  bjaun
      Kaase charaun  gaiya   gheri  -2
Radhe,kaase  charaun  gaiya  gheri
Sun  radhe  rani-----

2)--Mukh  se  gaao  kahna, haath  se  bajao -2
     Lathiya  se  laao  gaiya  gheri
Radhe, lathiya  se  laao  gaiya  gheri
Sun  radhe  rani------

3) ---sone  kee  naahi  radhe, rup  ki  naahi   -2
    Hare-hare  baans  ki  ye  pori
Radhe, hare-  hare  baans  ki  ye  pori
Sun  radhe   rani------

4)--Vansi  mein mero , pran  basat  hain -2
      Wo  vansi   ho  gayi   chori
Radhe , wo  vansi  ho  gayi  chori
Sun  radhe  rani----

              ****************

Monday, 8 September 2014

देवी वंदना


या देवी सर्वभूते षु विष्णुमायेति शब्दिता!
नमस्तस्यै-नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः!!

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते!
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः!!

या  देवी  सर्वभूतेषु  बुद्धि रुपेण संस्थिता!
नमस्तस्यै नमस्तसयै नमस्तस्यै नमो नमः!!

या देवी सर्वभूतेषु निद्रारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु च्छायारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी  सर्वभूतेषु  शक्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो  नमः।।

या  देवी  सर्वभूतेषु तृष्णारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो  नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु जातिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या  देवी सर्वभूतेषु लज्जारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमस्तस्यै  नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु वृतिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो नमः।।

या देवी  सर्वभूतेषु स्मृतिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी  सर्वभूतेषु दयारुपेण संस्थिता.।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरुपेण संस्थिता.।
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या  देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता.।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरुपेण संस्थिता.।
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो  नमः।।

इन्द्रियाणामधिष्ठात्री  भूतानां चाखिलेषु या.।
भूतेषु सततं  तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः .।।

चितिरुपेण या कृत्सन्मेतद् व्याप्य स्थिता जगत।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

Sunday, 7 September 2014

Sweater , girls sweater

Wool
  Cream--200gm
   Red---50gm
   Pink---50  gm
    Green-- 25gm
    Years-- 6 se 8  sal  ki  larki  ke  liye

Vidhi --
Piche  ke  palla  ke  liye--85 phanda  ka  cream  colour  se  border  10n  ki  salai  se  bune. 3inch  ke  border  banane  ke  bad  9 n  ki  salai  lagaker  5 phanda  badha  dein.  Ab  piche  ke  photo  ke  saman  lambayi  puri  karein  aur  4-3-2-1ke  hisab  se  baah  ki  ghatayi  karein.

    Aage  ka  bhi  border  piche  ke  saman  bune.  Phir  phanda  badhaker  niche  diye  gaye  graph  ke  anusar  sweater  bunte  huye  baah  ki  ghatai  krein.  Gala  ki  gol  ghatai  karein.

     Baanh  ke  liye  50phande  ka  border  bune.  Phir  phanda  badhaker  60 ker  lein.  Aage  ke  palle  ki  tarah  graph  banate  hue  lambayi  puri  karein.  Her  6 salai  mein  dono  taraph  ek-ek  phanda  badhate  gayein.iski  bhi  4-3-2-1  ki  tarah  baanh  ki  ghatayi  karein. Ant  mein  kandha  zor  ker  gale  ke  liye 110phanda  uthaker  do  inch  ka  border  bune. Phir  puri  sweater  ki  silai  ker  lein.

Tuesday, 2 September 2014

Sweater

Samagri--
  Red  wool--150gm,
   Cream  wool-- 50gm,
   White  wool-- 25gm,
   Salai-- 10n  ,9 n.
   Naap---2  se  3 years  ke  liye

Vidhi----
     
       Piche  ke  palla   ke  liye  80 phande  ka  ( ek  sidha,ek  ulta) border  ,char  inch  ka  bune.
10n ki  salai  se  border  bune.
Phir  9n  ki  salai  lagaker  5 phande 
badhayein.  Baanh  tak  lambayi  puri  karein  phir  rablon  mein  ghatayi  karte  hue  hite  puri  karein.

      Aage  ke  palla  ka  border  bhi  piche  ke  saman  banega.  Border  ke  baad  graph  dalein  phir  rablon  mein  ghatayi  karte  hue  gala  ghataker  hite  puri  karein.

     Baanh  ke  liye  45phande  ka  border  bune .phir  9n  ki  salai  lagaker  10 phande  eksaath  bdhayein. Chaar  salai  ke  baad  dono  taraf  ek-ek  phanda  bdhate  jayein.lambayi  puri  ker  piche  ke  saman  rablon  mein  ghatayi  karein.

     Gale  ke  border  ke  liye  --aage  ke  baayein  bhag  se  phande  uthate  hue  ,baanh  se  ,next  piche  se  ,phir  baanh  se  aur  ant  mein  aage  ke  daayein  bhag  se  phande  uthaker  100phanda  ka  do  inch  ka  border  bune.  Ant  mein  sweater  ki  seelai  ker  aage  mein  batan  laga  dein.

Monday, 1 September 2014

Devi vandana ,bhajan,

   Jagdamba   ghar   mein   diyara
                Baar   ayali   hei !
   Jagtaran  ghar   mein   diyara
                Baar   ayali    hei !!

    Jagdamba  ghar  mein  diyara
                  Baar   ayali   hei !
   
Sone  ke  jhari   gangajal   paani -2
   Maiya  ke  charan  pakhar  ayali  hei
    Jagdamba..............

   Sone  ke  thaali   mein  wyanjan  parosal  -2
   Maiya  ke  bhog   laga  ayali  hei
  Jagdamba.................

    Sone  ke  thaali   kapur  ki   bati-2
   Maiya  ke  aarti   utar  ayali  hei
   Jagdamba..............

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