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Saturday, 27 September 2014

Maa Chandraghanta

                 माँ   चन्द्रघंटा

पिण्डजप्रवरारूढा      चण्डकोपास्त्रकेर्युता ।
प्रसादं    तनुते   मह्यं  चन्द्रघण्टेति  विस्रुता ।।

         माँ   दुर्गा  की  तीसरी  शक्ति  हैं   चन्द्रघंटा  ।नवरात्रि   के  तीसरे  दिन  इसी  देवी  की  पूजा-अराधना  की  जाती  है ।देवी   का  यह   स्वरुप  परम    शांतिदायक और  कल्याणकारी  है ।इनके  मस्तक  पर  घण्टे  के  आकार  का  आधा  चंद्र  है ।इसलिए  इस देवी  को चंद्रघंटा  कहा  गया  है ।इनके  शरीर  का  रंग  सोने  के  समान  बहुत  चमकीला है ।इस देवी   के दस  हाथ   हैं ।वे    खडग  और  अन्य  अस्त्र  -शस्त्र  से  विभूषित  हैं ।

         सिंह    पर  सवार  इस  देवी  की  मुद्रा  युद्ध  के  लिए  उद्धत  रहने  की  है ।इनके   घंटे   की  भयानक   ध्वनि सदा  अपने  भक्तों   की  प्रेत -बाधादि  से  रक्षा  करती  है ।इस  देवी  की कृपा से  साधक  को   अलौकिक  वस्तुओं के  दर्शन  होते हैं ।इस  देवी  की  अराधना  से  साधक  में  वीरता  और  निर्भयता के साथ ही  सौम्यता  और   विनम्रता का विकास  होता  है ।इसलिए  हमें  मन,कर्म,  वचन  के  साथ  विधि  -विधान से इनकी  उपासना -अराधना  करनी  चाहिए । यह  देवी  कल्याणकारी   हैं ।