Thursday 17 March 2016

Kanha Bhajan

  सारे   ब्रज में मची  है  धूम 
                     जनम लियो  नन्दलाला ।-3

ग्वाल  बजावें ढोल मजीरा  नाचत है  वृजबाला -3
सारे ब्रज ----------

1)  चंदन पलना झूल रहें हैं  श्याम यशोदा नंदन
      किलकारी भर भर मुसकावत मोह लियो सबके मन -2
      नज़र लगे ना लाला को है गाल पर टीका काला -2
       सारे ब्रज ----------

2)    कौवें  झूमे मैना चहके कोयल कुहुक सुनावें
        अँगना बीच मयूरा थिर थिर थिरकत कांझ रिझावें  -2
        ब्रज वासी के नैन पियत हैं श्याम रूप रस प्याला-2
        सारे ब्रज ----------

3)     स भी   देवता वेष बदलकर दर्शन करने आवें
        शिव शंकर भी याचक बनकर अपने नैन जुरावें -2
        जग पालक जो सत है अनूठा लीला रूप निराला -2
        सारे ब्रज ----------

 
 

Friday 4 March 2016

Handmade Aplic work single bedsheet

Single bedsheet ke liye casmate ka kapra lein.
Work karne ke liye cotton kapra lein.

Pahle bedsheet ke charo taraf cotton kapra ka paipin lagayein.
Next cotton kapra par flower chaap lein aur usko bedsheet par barabar duri par stich kar lein. Fir patti bhi kaat kar stich kar lein.
Daali ko banane ke liye green thread ka prayog kiya gaya hai.

Friday 19 February 2016

Aplicwala cushion cover

Cushion cover banane ke liye green aur orange cotton cloth lein.
Orange per green se aur green per orange se aplic banayein.
Aplicwork karne ke baad cushion ki silayi karein.

Thursday 14 January 2016

Makar Sankranti Ka Mahatva ,What is the importance of Makar Sankranti?

हिन्दू धर्म ने माह यानी महीने को दो भागों में बाँटा है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। इसी तरह वर्ष को भी दो भागों में बाँटा है-- उत्तरायण और दक्षिणायण।उक्त दो अयन को मिलाकर एक वर्ष होता है। मकर संक्राति के दिन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने की दिसा बदलते हुए थोड़ा उत्तर की ओर ढ़लता

जाता है ।इसलिए इस काल को उत्तरायण कहते हैं।
                   सूर्य पर आधारित हिंदू धर्म  में  मकर संक्रांति का बहुत महत्व माना गया है।वेद पुराणों में भीइस दिन का विशेष उल्लेख मिलता है।होली,दीपावली और अन्य कोई त्योहार जहाँ विशेष कथा पर आधारित हैं वहीं मकर संक्राति खगोलीय घटना है जिससे जड़ और चेतन की दशा और दिशा तय होती है। सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश को उत्तरायण माना जाता है ।इस राशि परिवर्तन के समय को  ही मकर संक्रांति कहते हैं।

यही एकमात्र पर्व है जो पूरे भारत में मनाया जाता है चाहे इसका नाम प्रत्येक प्रांत में अलग अलग हो और इसके मनाने के तरीक़े भी भिन्न हों किंतु यह बहुत ही महत्व का पर्व है। इसी दिन से हमारी धरती एक नए वर्ष में और सूर्य एक नई गति में प्रवेश करता है।
                   14 जन वरी ऐसा दिन है जबकि धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाए अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूरब से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर ख़राब माना गया है लेकिन जब वह पूरब से उत्तर की ओर गमन करने लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती  है।  मकर संक्रांति के दिन ही प वित्र गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था।

             भारत के अलावा मकर संक्रांति दूसरे देशों में भी प्रचलित है लेकिन वहाँ इसे किसी और नाम से जानते हैं।