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Thursday, 2 October 2014

Maa MahaGauri

                    माँ    महागौरी

श्वेते  वृषे  समारूढ़ा  श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी  शुभं  दद्यान्महादेवप्रमोदया ।।

            नवरात्रि   के  आठवें  दिन   माँ  महागौरी  की  पूजा-उपासना  की  जाती है ।इनकी  शक्ति  अमोघ  और  सद्यः  फ़लदायिनी  है ।इनकी  पूजा  से  भक्तों  के  सभी  कल्मष  धुल जाते  हैं  और  पूर्वसंचित पाप  भी  नष्ट  हो  जाते  हैं ।

             इनका  रूप  पूर्णतः  गौरवर्ण  है ।अष्टवर्षा  भवेद्   गौरी  यानी   इनकी    आयु    आठ  साल  की  मानी  गयी  है ।इनके  सभी  आभूषण   और  वस्त्र  सफेद  हैं ,इसीलिए  इन्हें  श्वेताम्बरधरा  कहा  गया  है ।इनकी   चार  भुजाऐं  हैं  और  वाहन  वृषभ  है  इसीलिए  इन्हें वृषारुढ़ा   भी  कहा  गया  है ।

                 इनके  ऊपर  वाला   दाहिना   हाथ   अभय  मुद्रा है  और  नीचे  वाला  हाथ त्रिशूल  धारण  किया  हुआ  है ।ऊपर  वाले  बाऐं  हाथ  में  डमरु  है  और   नीचे  वाला  हाथ वरमुद्रा  में  है ।
इनकी  पूरी  मुद्रा  बहुत  शांत है ।पति  रूप  में  शिव  को  प्राप्त  करने  के  लिए  महागौरी  ने  कठोर  तपस्या  की  थी ।इसी कारण  इनका  शरीर  काला  पड़ गया  लेकिन  तपस्या  से  प्रसन्न होकर  भगवान  शिव ने  इनके  शरीर को  गंगा  के  पवित्र  जल  से  धोकर कांतिमय  बना  दिया  ।उनका  रुप गौरवर्ण  का हो  गया ।  इसीलिए  यह  महागौरी  कहलाईं  ।महागौरी  की  पूजन-अर्चण ,उपासना-आराधना  कल्याणकारी  है ।