जय जय भैरवी असुर भयाऊनि
पशुपति भामीनि माया।
सहज सुमति वर दिअओ गोसाऊनि
अनुगति गति तुअ पाया
जय जय………
1) वासर रैनि सवासन शोभित
चरण चन्द्र मणि चूड़ा
कतओ दैत मारी मुख मेलल
कतओ उगिल कैल कूड़ा
जय जय………………
2) सां वर वरण नयन अनुरंजित
जलद जोग फ़ूल कोका
कट कट विकट ओठ पुट पाँवरि
लिघुर फ़ेन उठ फ़ोका
जय जय ……………
3) घन घन घनन घुँघरु कत बाजय
हन हन कर तुअ काता
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र विसरु जनि माता
जय जय ………………