हिन्दू धर्म ने माह यानी महीने को दो भागों में बाँटा है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। इसी तरह वर्ष को भी दो भागों में बाँटा है-- उत्तरायण और दक्षिणायण।उक्त दो अयन को मिलाकर एक वर्ष होता है। मकर संक्राति के दिन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने की दिसा बदलते हुए थोड़ा उत्तर की ओर ढ़लता
जाता है ।इसलिए इस काल को उत्तरायण कहते हैं।
सूर्य पर आधारित हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व माना गया है।वेद पुराणों में भीइस दिन का विशेष उल्लेख मिलता है।होली,दीपावली और अन्य कोई त्योहार जहाँ विशेष कथा पर आधारित हैं वहीं मकर संक्राति खगोलीय घटना है जिससे जड़ और चेतन की दशा और दिशा तय होती है। सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश को उत्तरायण माना जाता है ।इस राशि परिवर्तन के समय को ही मकर संक्रांति कहते हैं।
यही एकमात्र पर्व है जो पूरे भारत में मनाया जाता है चाहे इसका नाम प्रत्येक प्रांत में अलग अलग हो और इसके मनाने के तरीक़े भी भिन्न हों किंतु यह बहुत ही महत्व का पर्व है। इसी दिन से हमारी धरती एक नए वर्ष में और सूर्य एक नई गति में प्रवेश करता है।
14 जन वरी ऐसा दिन है जबकि धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाए अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूरब से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर ख़राब माना गया है लेकिन जब वह पूरब से उत्तर की ओर गमन करने लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती है। मकर संक्रांति के दिन ही प वित्र गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था।
भारत के अलावा मकर संक्रांति दूसरे देशों में भी प्रचलित है लेकिन वहाँ इसे किसी और नाम से जानते हैं।